|| हे भारत के राम जगो||
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूँ,
सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ |
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूँ,
सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ ||सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में,
आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में |
खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर, आज तुम्हें ललकार रही,
सोये सिंह जगो भारत के, माता तुम्हें पुकार रही ||
रण की भेरी बज रही, उठो मोह निद्रा त्यागो,
पहला शीश चढाने वाले, मां के वीर पुत्र जागो |
बलिदानों के वज्रदंड पर, देशभक्त की ध्वजा जगे,
और रण के कंगन पहने है, वो राष्ट्रभक्त की भुजा जगे ||
अग्निपथ के पंथी जागो, शीश हथेली पर धरकर,
जागो रक्त के भक्त लाडले, जागो सिर के सौदागर|
खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बर्बंडा,
और रक्त बीज का रक्त चाटने, वाली जागे चामुंडा ||
नर मुंडों की माला वाला, जगे कपाली कैलाशी,
रण की चंडी घर- घर नाचे, मौत कहे प्यासी-प्यासी |
रावण का वध स्वयं करूंगा, कहने वाला राम जगे,
रावण का वध स्वयं करूंगा, कहने वाला राम जगे,
और कौरव शेष न एक बचेगा, कहने वाला श्याम जगे ||
परशुराम का परशु जगे, रघुनन्दन का बाण जगे,
यदुनंदन का चक्र जगे, अर्जुन का धनुष महान जगे |
चोटी वाला चाणक्य जागे, पौरुष पुरुष महान जगे,
और सेल्यूकस को कसने वाला, चन्द्रगुप्त बलवान जगे ||
हठी हमीर जगे जिसने, झुकना कभी नहीं जाना,
जगे पद्मिनी का जौहर, जागे केसरिया बाना |
देशभक्ति का जीवित झंडा, आजादी का दीवाना,
और वह प्रताप का सिंह जगे, वो हल्दी घाटी का राणा ||
दक्खन वाला जगे शिवाजी, खून शाहजी का ताजा,
मरने की हठ ठाना करते, विकट मराठो के राजा |
छत्रसाल बुंदेला जागे, पंजाबी कृपाण जगे,
दो दिन जिया शेर के माफिक, वो टीपू सुल्तान जगे ||
कनवाहे का जगे मोर्चा, पानीपत मैदान जगे,
जगे भगत सिंह की फांसी, राजगुरु के प्राण जगे |
जिसकी छोटी सी लकुटी से, संगीने भी हार गयी,
जिसकी छोटी सी लकुटी से, संगीने भी हार गयी,
हिटलर को जीता वे फौजें, सात समुन्दर पार गयी |
मानवता का प्राण जगे, और भारत का अभिमान जगे,
उस लकुटि और लंगोटी वाले, बापू का बलिदान जगे ||
आजादी की दुल्हन को जो, सबसे पहले चूम गया,
स्वयं कफ़न की गाँठ बाँधकर, सातों भांवर घूम गया,
उस सुभाष की शान जगे, उस सुभाष की आन जगे,
ये भारत देश महान जगे, ये भारत की संतान जगे ||
झोली लेकर मांग रहा हूँ,
कोई शीश दान दे दो |
भारत का भैरव भूखा है ,
कोई प्राण दान दे दो ||
कोई शीश दान दे दो |
भारत का भैरव भूखा है ,
कोई प्राण दान दे दो ||
खड़ी शत्रु की दुल्हन द्वारी,
कोई बियाह रचा लो |
कोई मर्द अपने नाम की ,
चूड़ी तो पहना लो ||
कौन वीर निजहृदय रक्त से,
इसकी मांग भरेगा |
कौन कफ़न का पलंग बिछाकर,
इसपर शयन करेगा ||
क्या कहते हो मेरे भारत से चीनी टकराएंगे ??
अरे चीनी को तो हम पानी में घोल-घोल पी जाएंगे,
अरे चीनी को तो हम पानी में घोल-घोल पी जाएंगे |
वह बर्बर था, वह अशुद्ध था, हमने उनको शुद्ध किया,
हमने उनको बुद्ध दिया था, उसने हमको युद्ध दिया ||
आज बंधा है कफ़न शीश पर, जिसको आना है आ जाओ,
चाओ-माओ चीनी-मीनी, जिसमें दम हो टकराओ |
जिसके रण से बनता है, रण का केसरिया बाना,
ओ कश्मीर हड़पने वालों, कान खोल सुनते जाना ||
भारत के केसर की कीमत तो केवल सर है,
कोहिनूर की कीमत जूते पांच अजर अमर हैं |
रण के खेतो में जब छायेगा, अमर मृत्यु का सन्नाटा,
लाशो की जब रोटी होंगी, और बारूदों का आटा |
सन-सन करते वीर चलेंगे, जो बामी से फन वाला,
फिर चाहे पेकिंग हो, या रावलपिंडी वाला ||
जो हमसे टकराएगा, वो चूर चूर हो जायेगा,
इस मिट्टी को छूने वाला, मिट्टी में मिल जायेगा |
मैं घर-घर में इन्कलाब की, आग लगाने आया हूँ,
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ ||
Shyam Sundar Rawat