INDEPENDENCE DAY POEMS IN HINDI
SWATANTRATA DIWAS PAR HINDI KAVITA
देश की लाज बचाने को
देश की लाज बचाने को, अपनी जान गवाई है,
खा कर गोली सीने में, अपनी कसम निभाई है |
जिनको ये भारतवर्ष, अपने लहू से ज्यादा प्यारा है,
ऐसे उन वीर सपूतों को, शत-शत नमन हमारा है ||
भारत माँ की रक्षा के लिए, अपना कर्तव्य निभाया है,
मातृभूमि के गौरव पर, न्यौछावर उनकी काया है |
जिनको परिवार से ज्यादा, ये देश ,तिरँगा प्यारा है,
ऐसे उन वीर सपूतों को, शत-शत नमन हमारा है ||
लथपथ पड़े जमीं पर, भारत माँ की जय बोली हैं
जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती फिर से डोली हैं |
जिनके जज्बे को करता सलाम, देखो ये भारत सारा है,
ऐसे उन वीर सपूतों को, शत-शत नमन हमारा है ||
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SWATANTRATA DIWAS PAR HINDI KAVITA
INDEPENDENCE DAY POEMS IN HINDI
SWATANTRATA DIWAS PAR HINDI KAVITA
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है, विजयी-विश्व का गान अमर है,
देश-हित सबसे पहले है, बाकि सबका राग अलग है |
आजादी के पावन अवसर पर, लाल किले पर तिरंगा फहराना है,
श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर, देश के शहीदों को नमन करना है |
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर, अब बस आगे बढ़ना है,
पूरे विश्व में भारत की शक्ति का, नया परचम फहराना है |
अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर, राष्ट्रहित के लिए लड़ना है,
बात करे जो भेदभाव की, उसको सबक सिखाना है |
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है, विजयी-विश्व का गान अमर है,
देश-हित सबसे पहले है, बाकि सबका राग अलग है |
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SWATANTRATA DIWAS PAR HINDI KAVITA
तिरंगा है फहराना
15 अगस्त का दिन है आया,
लाल किले पर तिरंगा है फहराना |
ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,
इस दिन देश आजाद हुआ था ||
न जाने कितने शहीदों के बलिदानों पर,
हमने आजादी को पाया था |
भारत माता की आजादी की खातिर,
वीरों ने अपना सर्वश लुटाया था ||
उनके बलिदानों की खातिर ही,
भारत को नई पहचान दिलानी है |
खुद को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,
एक नया इतिहास बनाना है ||
जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाना है,
हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ है सिखाना ||
वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं है गवाना,
राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य बनाकर, आजादी का अर्थ है समझाना ||
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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा
सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हर्षाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा……..
स्वतंत्रता के भीषण रण में, लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,
काँपे शत्रु देखकर मन में, मिट जाये भय संकट सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा……….
इस झंडे के नीचे निर्भय, हो स्वराज जनता का निश्चय,
बोलो भारत माता की जय, स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा…………….
आओ प्यारे वीरों आओ, देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ, प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा……….
इसकी शान न जाने पावे, चाहे जान भले ही जावे,
विश्व-विजय करके दिखलावे, तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा………..
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SWATANTRATA DIWAS PAR HINDI KAVITA
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ऐ मेरे प्यारे वतन
ऐ मेरे प्यारे वतन,
ऐ मेरे बिछड़े चमन,
तुझ पे दिल कुरबान ,
तुझ पे दिल कुरबान |
तू ही मेरी आरजू़,
तू ही मेरी आबरू,
तू ही मेरी जान |
तेरे दामन से जो आए,
उन हवाओं को सलाम |
चूम लूँ मैं उस जुबाँ को,
जिसपे आए तेरा नाम ||
सबसे प्यारी सुबह तेरी,
सबसे रंगी तेरी शाम |
तुझ पे दिल कुरबान,
माँ का दिल बनके कभी,
सीने से लग जाता है तू |
और कभी नन्हीं-सी बेटी.
बन के याद आता है तू ||
जितना याद आता है मुझको,
उतना तड़पाता है तू |
तुझ पे दिल कुरबान,
छोड़ कर तेरी ज़मीं को,
दूर आ पहुँचे हैं हम |
फिर भी है ये ही तमन्ना,
तेरे ज़र्रों की कसम ||
हम जहाँ पैदा हुए उस,
जगह पे ही निकले दम |
तुझ पे दिल कुरबान,
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अपना देश स्वतंत्र हुआ
आपसी कलह के कारण से, वर्षों पहले परतंत्र हुआ
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस, को अपना देश स्वतंत्र हुआ
उन वीरों को हम नमन करें, जिनने अपनी कुरबानी दी
निज प्राणों की परवाह न कर, भारत को नई रवानी दी
उन माताओं को याद करें, जिनने अपने प्रिय लाल दिए
मस्तक मां का ऊंचा करने, को उनने बड़े कमाल किए
बिस्मिल, सुभाष, तात्या टोपे, आजाद, भगत सिंह दीवाने
सिर कफन बांधकर चलते थे, आजादी के यह परवाने
देश आजाद कराने को जब, पहना केसरिया बाना
तिलक लगा बहनें बोली, भैया, विजयी होकर आना
माताएं बोल रही बेटा, बन सिंह कूदना तुम रण में
साहस व शौर्य-पराक्रम से, मार भगाना क्षणभर में
दुश्मन को धूल चटा करके, वीरों ने ध्वज फहराया था
जांबाजी से पा विजयश्री, भारत आजाद कराया था
स्वर्णिम इतिहास लिए आया, यह गौरवशाली दिवस आज
श्रद्धा से नमन कर रहा है, भारत का यह सारा समाज
जय हिन्द हमारे वीरों का, सबसे सशक्त शुभ मंत्र हुआ
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालीस, को अपना देश स्वतंत्र हुआ
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भारत माँ के अमर सपूतो
भारत माँ के अमर सपूतो, पथ पर आगे बढ़ते जाना
पर्वत, नदिया और समन्दर, हंस कर पार सभी कर जाना
तुममे हिमगिरी की ऊँचाई सागर जैसी गहराई है
लहरों की मस्ती और सूरज जैसी तरुनाई है तुममे
भगत सिंह, राणा प्रताप का बहता रक्त तुम्हारे तन में
गौतम, गाँधी, महावीर सा रहता सत्य तुम्हारे मन में
संकट आया जब धरती पर तुमने भीषण संग्राम किया
मार भगाया दुश्मन को फिर जग में अपना नाम किया
आने वाले नए विश्व में तुम भी कुछ करके दिखाना
भारत के उन्नत ललाट को जग में ऊँचा और उठाना
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मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
आ.. हा.. आहा.. आ..
इसकी मिट्टी से बने तेरे मेरे ये बदन
इसकी धरती तेरे मेरे वास्ते गगन
इसने ही सिखाया हमको जीने का चलन
जीने का चलन..
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
अपने इस चमन को स्वर्ग हम बनायेंगे
कोना-कोना अपने देश का सजायेंगे
जश्न होगा ज़िन्दगी का, होंगे सब मगन
होंगे सब मगन..
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन
शांति का उन्नति का प्यार का चमन
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेमन, जानेमन..
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SWATANTRATA DIWAS PAR HINDI KAVITA
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SWATANTRATA DIWAS PAR HINDI KAVITA
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का मतलब नहीं है समझते।
इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते,
गाकर अपना राष्ट्रगान फिर हम,
तिरंगे का सम्मान है करते,
कुछ देशभक्ति की झांकियों से
दर्शकों को मोहित है करते
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ यही है समझते।
वक्ता अपने भाषणों में,
न जाने क्या-क्या है कहते,
उनके अन्तिम शब्दों पर,
बस हम तो ताली है बजाते।
हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।
विद्यालय में सभा की समाप्ति पर,
गुलदाना है बाँटा जाता,
भारत माता की जय के साथ,
स्कूल का अवकाश है हो जाता,
शिक्षकों का डाँट का डर,
इस दिन न हमको है सताता,
छुट्टी के बाद पतंगबाजी का,
लुफ्त बहुत ही है आता,
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
बस इतना ही है समझते,
आजादी के अवसर पर हम,
खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।।
भारत माता की जय।
-वन्दना शर्मा।
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जब भारत आज़ाद हुआ था
जब भारत आज़ाद हुआ था|
आजादी का राज हुआ था||
वीरों ने क़ुरबानी दी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
भगत सिंह ने फांसी ली थी|
इंदिरा का जनाज़ा उठा था||
इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी||
वतन का ज़ज्बा ऐसा था|
जो सबसे लड़ता जा रहा था||
लड़ते लड़ते जाने गयी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था||
फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था|
इस देश के रिश्तों को तोडा था||
फिर भारत दो भागो में बाटा था|
एक हिस्सा हिन्दुस्तान था||
दूसरा पाकिस्तान कहलाया था|
सरहद नाम की रेखा खींची थी||
जिसे कोई पार ना कर पाया था|
ना जाने कितनी माये रोइ थी,
ना जाने कितने बच्चे भूके सोए थे, हम सब ने साथ रहकर एक ऐसा समय भी काटा था|| विरो ने क़ुरबानी दी थी तब भारत आज़ाद हुआ था||
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प्यारे भारत देश
प्यारे भारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के त्वेष
प्यारे भारत देश।।
वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक
सुख कर जग के क्लेश
प्यारे भारत देश।।
तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश
प्यारे भारत देश।।
जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं
श्रम के भाग्य निवेश
प्यारे भारत देश।।
वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
जय-जय अमित अशेष
प्यारे भारत देश।।
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बच्चा बच्चा राम है
चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है || ध्रु ||
हर शरीर मंदिर सा पावन हर मानव उपकारी है
जहॉं सिंह बन गये खिलौने गाय जहॉं मॉं प्यारी है
जहॉं सवेरा शंख बजाता लोरी गाती शाम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है || 1 ||
जहॉं कर्म से भाग्य बदलता श्रम निष्ठा कल्याणी है
त्याग और तप की गाथाऍं गाती कवि की वाणी है
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा निर्मल है अविराम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है || 2 ||
जिस के सैनिक समरभूमि मे गाया करते गीता है
जहॉं खेत मे हल के नीचे खेला करती सीता है
जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है ||
कर गयी पैदा तुझे उस कोख का एहसान है
सैनिकों के रक्त से आबाद हिन्दुस्तान है
तिलक किया मस्तक चूमा बोली ये ले कफन तुम्हारा
मैं मां हूं पर बाद में, पहले बेटा वतन तुम्हारा
धन्य है मैया तुम्हारी भेंट में बलिदान में
झुक गया है देश उसके दूध के सम्मान में
दे दिया है लाल जिसने पुत्र मोह छोड़कर
चाहता हूं आंसुओं से पांव वो पखार दूं
ए शहीद की मां आ तेरी मैं आरती उतार लूं...
INDEPENDENCE DAY POEMS IN HINDI
DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN
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DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN
||आज तिरंगा लहराता है||
आज तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।
हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।
लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।
विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
INDEPENDENCE DAY POEMS IN HINDI
DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN
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DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN
|| नमो, नमो, नमो ||
नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!
प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!
हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु, फहर-फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
तार-तार में हैं गुँथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!
~ रामधारी सिंह ‘दिनकर’
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|| हे! राष्ट्रदेव ||
शहीदों की आत्मा है पुकार रही,
हे! राष्ट्रदेव अब मौन भंग करो |
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DESHBHAKTI HINDI KAVITAYEN
भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष १५ अगस्त को मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं।
१५ अगस्त १९४८ के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया।
स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं।
विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। भारत की जनगणना 1951 के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।
इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ देशभक्ति फिल्में देखते हैं, देशभक्ति के गीत सुनते हैं।