|| Republic Day Poems In Hindi ||
|| Independence Day Poems In Hindi ||
आज तिरगां फरहराते है,
अपनी परी शान से |
हमने अपना गौरव पाया,
भारत के संविधान से ||
अपनी परी शान से |
हमने अपना गौरव पाया,
भारत के संविधान से ||
गणतंत्र भारत को सजाते है,
देशभक्ति और स्वाभिमान से !
प्रजातंत्र जो हमने पाया,
त्याग और बलिदान से ||
लोकतंत्र की सीख को,
गीता और कुरान कहा |
अम्बेडकर के आशीष को,
भारत का संविधान कहा ||
यह वीरों का बलिदान है !
यह संस्कृति की पहचान है !!
पुरखों की यह शान है !
हम सब का हिन्दुस्तान है !!
हम सब का हिन्दुस्तान है ||
यह राणा की हुँनकार है !
यह शिवाजी की ललकार है !!
यह लक्ष्मीबाई की तलवार है !
भारत स्वर्ग का सार है !!
भारत स्वर्ग का सार है !!
भारत स्वर्ग का सार है ||
|| Patriotic Poems In Hindi ||
|| Hindi Deshbhakti Kavita ||
न्याय, प्रेम और दया, पुण्य के,
लक्ष्य हमें अभी पाना है |
स्नेह-अहिंसा क्षमादान के,
विजय पथ को अपनाना है ||
सत्य, अहिंसा, कर्म-धर्म के,
दीपक को फिर से जलाना है |
गणतंत्र भारत के आदर्शो को,
हमें फिर से अपनाना है ||
गणतंत्र भारत को सजाकर,
देशभक्ति के नारे लगाकर |
सविंधान को धर्म मानकर,
पूज रहे मस्तक झुकाकर ||
यहाँ दुध का कर्ज चुकाया,
भारत के बेटा बेटी ने |
दुश्मन को भी धूल चटा दी,
यहाँ घास की रोटी ने ||
अर्जुन के हर शर समान,
संतति यहाँ तैयार है |
माँगा माँ ने शीश एक,
तो मस्तक की भरमार है |
तो मस्तक की भरमार है ||
आज तिरंगा फहराते है,
अपनी पूरी शान से |
हमने अपना गौरव पाया,
भारत के संविधान से ||
अपनी पूरी शान से |
हमने अपना गौरव पाया,
भारत के संविधान से ||
भारत के संविधान से ||